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श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥१॥
चक्रेश्या प्रकतेड्यया त्रिपुरया त्रैलोक्य-सम्मोहनं
Her 3rd eye represents bigger perception, helping devotees see further than Actual physical appearances on the essence of actuality. As Tripura Sundari, she embodies like, compassion, and the Pleasure of existence, encouraging devotees to embrace lifestyle with open up hearts and minds.
The most revered between these would be the 'Shodashi Mantra', that's said to grant equally worldly pleasures and spiritual liberation.
पद्मालयां पद्महस्तां पद्मसम्भवसेविताम् ।
She would be the one owning Extraordinary attractiveness and possessing energy of delighting the senses. Exciting intellectual and psychological admiration within the 3 worlds of Akash, Patal and Dharti.
यह शक्ति वास्तव में त्रिशक्ति स्वरूपा है। षोडशी त्रिपुर सुन्दरी साधना कितनी महान साधना है। इसके बारे में ‘वामकेश्वर तंत्र’ में लिखा है जो व्यक्ति यह साधना जिस मनोभाव से करता है, उसका वह मनोभाव पूर्ण होता है। काम की इच्छा रखने वाला व्यक्ति पूर्ण शक्ति प्राप्त करता है, धन की इच्छा रखने वाला पूर्ण धन प्राप्त करता है, विद्या की इच्छा रखने वाला विद्या प्राप्त करता है, यश की इच्छा रखने वाला यश प्राप्त करता है, पुत्र की इच्छा रखने वाला पुत्र प्राप्त करता है, कन्या श्रेष्ठ पति को प्राप्त करती है, इसकी साधना से मूर्ख भी ज्ञान प्राप्त करता है, हीन भी गति प्राप्त करता है।
Chanting the Mahavidya Shodashi Mantra creates a spiritual defend around devotees, shielding them from negativity and damaging influences. This mantra acts as a source of safety, supporting individuals manage a beneficial surroundings absolutely free from psychological and spiritual disturbances.
हार्दं शोकातिरेकं शमयतु ललिताघीश्वरी पाशहस्ता ॥५॥
सावित्री Shodashi तत्पदार्था शशियुतमकुटा पञ्चशीर्षा त्रिनेत्रा
॥ अथ श्रीत्रिपुरसुन्दरी अपराध क्षमापण स्तोत्रं ॥
श्रीगुहान्वयसौवर्णदीपिका दिशतु श्रियम् ॥१७॥
भर्त्री स्वानुप्रवेशाद्वियदनिलमुखैः पञ्चभूतैः स्वसृष्टैः ।
प्रासाद उत्सर्ग विधि – प्राण प्रतिष्ठा विधि